मुझे विश्वास है
एक रोज़ मैं मारा जाऊँगा—
किसी युद्ध में नहीं
प्रेम में

प्रेम में मारा जाना
दुनिया की सबसे अच्छी नियति है

आप स्वर्ग और नरक नहीं जाते
आप रहते हैं
इसी धरती पर
प्रेम बनकर
किए जाते हैं याद
लिखे जाते हैं कहानी, कविताओं और प्रेम-पत्रों में
दर्ज हो जाते है उन दीवारों पर
जहाँ खुरचते हैं प्रेमी जोड़े अपने नाम

आप होते हैं उन दरख़्तों में
जिनके नीचे सुनाए जाते हैं
प्रेम के क़िस्से
आप होते हैं उस नदी में
जहाँ फेंके जाते हैं मन्नतों के सिक्के
आप होते हैं उस मज़ार पर
जहाँ बांधे जाते हैं धागे
आप होते हैं,
हरी घास की तरह फैले हुए
जिसपर लेट प्रेमी जोड़े
ढूँढ रहे आकाश में ध्रुव तारा

सम्भावना तो ये भी है
कि मारा जाऊँ
शहर में लगी आग में
या घुट जाए मेरा दम
हवाओं में घुले घृणा के ज़हर से
इन तमाम सम्भावनाओं के बावजूद
मुझे विश्वास है
एक रोज़ मैं मारा जाऊँगा
प्रेम में
लगा रहा होऊँगा
किसी को गले
या लिख रहा होऊँगा प्रेम पत्र
यह जानते हुए कि घृणा के बीचों बीच
लिखना प्रेम, कितना घातक है
और मैं लिखूँगा प्रेम
और मारा जाऊँगा
मुझे विश्वास है!

गौरव गुप्ता
हिन्दी युवा कवि. सम्पर्क- gaurow.du@gmail.com