वह मकान जो प्रेमचंद ने अपने पैतृक गाँव ‘लमही’ में बनाया था!
इंडियन प्रेस, इलाहाबाद से 1907 में प्रकाशित उपन्यास ‘प्रेमा’ का मुख्य आवरण!
प्रेमचंद का बेनिया बाग का किराए का मकान, जहाँ वे पहली मंजिल पर रहते थे। इस मकान के सामने एक बगीचा था जिसमें प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद टहलने जाया करते थे।
भारतेंदु हरिश्चंद्र का समर हाउस, जहाँ प्रेमचंद 1936 में आए थे। इसके दाएँ में एक आउट-हाउस था, जिसमें सरस्वती प्रेस स्थापित थी।
हिन्दी लेखकों के एक सम्मलेन में जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू। साथ में प्रेमचंद (गाँधी टोपी में, दाएँ से तीसरे), जयशंकर प्रसाद (बाएँ से तीसरे) और रामचंद्र शुक्ल (दाएँ से चौथे)।
प्रेमचंद द्वारा अंग्रेज़ी में लिखा गया एक पत्र!
प्रेमचंद के एक उपन्यास की हिन्दी पांडुलिपि का एक अंश!
‘हंस’ पत्रिका के पहले अंक का आवरण!
नार्मल स्कूल, गोरखपुर में शिक्षक और सुपरिन्टेन्डेन्ट के रूप में कार्य करते समय का प्रेमचंद का निवास। 1959 में स्कूल के छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर वहां एक प्लेटफार्म और प्रेमचंद की मूर्ति स्थापित की जहाँ प्रेमचंद बैठते थे, और लिखा करते थे।