मेरे कुरते में चाँद का कॉलर
और तारे का बटन
मेरे कुरते में
पहाड़ों की पीठ पर प्यासी भागती हिरणी के धुंधते पाँव
मेरे कुरते में
सोने के केशों वाली लड़की से मिलने की चाह
मेरे कुरते में
पिताओं का ग़ुस्सा
और सामाजिकों का आक्रोश
गर्मी की साँझ की रुमानियत
और शरद का आवेग
मेरे कुरते में,
मेरे कुरते में
ऋतुओं के बाजे
हाँ प्रिये, मेरे कुरते में
मेघों के नगाड़े!
बद्रीनारायण की कविता 'प्रेमपत्र'