‘Purkhon Ki Aastha’, Hindi Kavita by Amar Dalpura

हम ने पानी के अर्थ में पानी को,
हवा के अर्थ में हवा को नहीं समझा
हमारे पूर्वजों की आस्था पेड़ों में थी
वे नहीं जानते थे ईश्वरों को
लेकिन जानते थे हवा और पानी को
इसलिए बाबा पेड़ लगाते रहे
दादी पीपल पूजती रही

हम ने मृत्यु के अर्थ में मृत्यु को,
जीवन के अर्थ में जीवन को नहीं समझा
हमारे पूर्वजों की आस्था पंछियों में थी
वे नहीं जानते थे हत्या को
लेकिन जानते थे उन्मुक्त उड़ानों को
इसलिए पिता अन्न उगाते रहे
माँ दाना डालती रही

हम ने कविता के अर्थ में कविता को,
हम ने लोकगीतों के अर्थ में गीतों को नहीं समझा
‘मैंने बाग लगायो तब नैई आयो रसिया
मैंने ताल खुदायो तब नैई आयो रसिया’
हमारे पुरखों की आस्था प्रेम में थी
इसलिए वे एक-दूसरे के लिए
पेड़ और पानी का जिक्र करते रहे…

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