आइए,
क्यू में लग जाइए।
बरसों पुरानी बिखराव की स्थितियाँ
समेटते हुए चले आइए!
क्यू में लग जाइए!
आपकी इज़्ज़त और शान के लिए
रोटी, कपड़ा और मकान के लिए
हमने बराबर आपका आह्वान किया है
आपकी अहमियत का बीड़ा अपने कंधों पर लिया है
आप बेधड़क हो, तालियाँ बजाइए
क्यू में चले आइए।
यह क्यू आपकी अपनी है
और आप ही के लिए
इसे बनाए रखिए, न तोड़िए
हम इसी के बल पर
विगत कई वर्षों से जूझ रहे हैं
और आपकी छोटी-बड़ी हर समस्या को
बूझ रहे हैं।
हमारे हाथ के इशारे पर ही
चुपचाप खड़े हो जाइए।
और क्यू में लग जाइए।
आप अपने को क्यू से जोड़िए!
अनुशासन मत तोड़िए!
अनुशासन एक पर्व है
इसी पर हमें गर्व है
हम विश्वास दिलाते हैं कि
आने वाले कई वर्षों तक
ग़रीबी और भूखमरी से
लड़ते रहेंगे
और
इस क्यू की सुरक्षा के लिए
मरते रहेंगे।
किसी सिरफिरे के कर्कश नारों से
आप मत हड़बड़ाइए
अपने कानों पर
अँगुली धर
इधर खिसक आइए।
और क्यू में लग जाइए।
शैल चतुर्वेदी की कविता 'मूल अधिकार'