रात सुनसान है
तारीक है दिल का आँगन
आसमाँ पर कोई तारा न जमीं पर जुगनू
टिमटिमाते हैं मेरी तरसी हुई आँखों में
कुछ दिये
तुम जिन्हें देखोगे तो कहोगे आँसू
दफ़अतन जाग उठी दिल में वही प्यास, जिसे
प्यार की प्यास कहूँ मैं तो जल उठती है ज़बाँ
सर्द एहसास की भट्टी में सुलगता है बदन
प्यास, यह प्यास इसी तरह मिटेगी शायद
आए ऐसे में कोई ज़हर ही दे दे मुझको..