रवीन्द्रनाथ टैगोर के उद्धरण | Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

‘गोरा’ से

“मत का उत्तर मत से, युक्ति का उत्तर युक्ति से दिया जा सकता है, परन्तु बुद्धि के विषय में क्रोध करके दण्ड देना बर्बरता है।”

 

‘साहित्य की सामग्री’ से

“केवल अपने लिए लिखने को साहित्य नहीं कहते हैं—जैसे पक्षी अपने आनंद के उल्लास में गाता है, उसी प्रकार हम भी अपने आनंद में विभोर होकर केवल अपने ही लिए लिखते हैं, मानो श्रोता या पाठक का उससे कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता।”
साहित्य की सामग्री


“जिस प्रकार जो इंधन जलता नहीं है, उसे आग के नाम से नहीं पुकारा जा सकता, उसी प्रकार जो कवि आकाश की ओर देखकर आकाश ही के समान नीरव हो जाता है, उसे कवि नहीं कहा जा सकता।”
साहित्य की सामग्री


“रचना स्वयं रचयिता के लिए नहीं है, यह मानना पड़ेगा और यह मानकर ही चलना पड़ेगा।”
साहित्य की सामग्री


“हमारे भावों की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वे अपने आप को अनेक हृदयों में अनुभव कराना चाहते हैं।”
साहित्य की सामग्री


“एक न एक दिन हमारा घर, हमारा सामान आदि, हमारा शरीर-मन सब कुछ नष्ट हो जाएगा—एकमात्र मैंने जो कुछ विचारा है, जो कुछ अनुभव किया है, वह अनंत काल तक मनुष्य की बुद्धि और भावना का सहारा लेकर सजीव संसार में जीता रहेगा।”
साहित्य की सामग्री


“हम जो मूर्ति गढ़ रहे हैं, चित्र बना रहे हैं, कविता लिख रहे हैं, पत्थर के मंदिर का निर्माण कर रहे हैं, और इस प्रकार देश-विदेश में चिरकाल से यह अविराम चेष्टा चल रही है—वह और कुछ नहीं है, मनुष्य का हृदय मनुष्य से अमरता की प्रार्थना कर रहा है।”
साहित्य की सामग्री


“‘सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है’—यह बात हमें विशेष आकर्षक नहीं प्रतीत होती, परंतु सूर्य के उदय होने में जो सौंदर्य और आनंद है, वह आज भी मनुष्य के लिए वैसा ही आह्लादकारी और आकर्षक है।”
साहित्य की सामग्री


“साहित्य का मुख्य आलम्बन भावों का विषय है, ज्ञान का नहीं।”
साहित्य की सामग्री


“भाव को अपना बनाकर सर्वसाधारण बना देना ही साहित्य है, ललित कला है।”
साहित्य की सामग्री


“सर्वसाधारण की वस्तु को विशेष रूप से अपनी बनाकर फिर उसी प्रकार उसको सर्वसाधारण की बना देना साहित्य का कार्य है।”
साहित्य की सामग्री


तारे ने कहा—”मैं प्रकाश दूँगा। अँधकार दूर होगा या नहीं, यह मैं नहीं जानता।”
स्फुलिंग


“तथ्य कई हैं, लेकिन सच एक ही है।”


“प्रत्येक शिशु यह सन्देश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।”


“सिर्फ़ खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप समुद्र को पार नहीं कर सकते।”


“हमेशा तर्क करने वाला दिमाग़, धार वाला वह चाकू है जो प्रयोग करने वाले के हाथ से ही ख़ून निकाल देता है।”


“फूल की पंखुड़ियों को तोड़कर आप उसकी सुन्दरता को प्राप्त नहीं करते।”


“जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है, उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।”


“मित्रता की गहराई, परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।”


“जो कुछ हमारा है, वह हम तक तभी पहुँचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं।”


“हर एक कठिनाई जिससे आप मुँह मोड़ लेते हैं, एक दिन भूत बनकर आपकी नींद में बाधा डालेगी।”


“वे लोग जो अच्छाई करने में बहुत ज़्यादा व्यस्त होते है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते।”


“यदि आप सभी ग़लतियों के लिए दरवाज़े बन्द कर देंगे तो सच बाहर रह जायेगा।”


“कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं।”


“प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता, बल्कि स्वतन्त्रता प्रदान करता है।”


“संगीत दो आत्माओं के बीच के अन्तर को भरता है।”

रवीन्द्रनाथ टैगोर
रवीन्द्रनाथ टैगोर (7 मई, 1861 – 7 अगस्त, 1941) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।