‘Rajdroh’, Hindi Kavita by Archana Verma

राजा बहुत भला था, राजा की
इच्छा थी एक ही ऐसी उद्दाम कि
अभी इसी वक़्त प्रजा हो सुखी इतनी
और ऐसी कि पहले वह जैसी
कभी नहीं थी

राजा की मुनादी थी, सुख है
सब ओर, सिर्फ़ सुख ही सुख
ऐसा पहले तो न था मगर
आगे बस ऐसा ही होगा
सुख के सिवा कुछ भी
नहीं होगा

मुझे उम्रक़ैद की सज़ा मिली
क्योंकि मेरी आँखों में
एक बूँद आँसू आया था,
उन्होंने मेरा जुर्म
राजद्रोह बताया था।

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अर्चना वर्मा
जन्म : 6 अप्रैल 1946, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) भाषा : हिंदी विधाएँ : कविता, कहानी, आलोचना मुख्य कृतियाँ कविता संग्रह : कुछ दूर तक, लौटा है विजेता कहानी संग्रह : स्थगित, राजपाट तथा अन्य कहानियाँ आलोचना : निराला के सृजन सीमांत : विहग और मीन, अस्मिता विमर्श का स्त्री-स्वर संपादन : ‘हंस’ में 1986 से लेकर 2008 तक संपादन सहयोग, ‘कथादेश’ के साथ संपादन सहयोग 2008 से, औरत : उत्तरकथा, अतीत होती सदी और स्त्री का भविष्य, देहरि भई बिदेस संपर्क जे. 901, हाई बर्ड, निहो स्कॉटिश गार्डन, अहिंसा खंड-2, इंदिरापुरम, गाजियाबाद