रोटी पापी पेट का प्रथम पुण्य है
जो सर्वप्रथम धरती के हिस्से आता है
उसके बाद किसान के।
रोटी मनुष्य की रची कृपा है
जो गाय और कुत्ते जैसे कुछ ही
चौपायों के नसीब में आयी है
क्योंकि बाकी जानवरों ने कभी
साथ ही नहीं दिया आदमी का भूख में।
रोटी प्याज की तरह काटा गया
धरती का चकतीनुमा वो अंश है
तवे पर आते ही जिसकी साँसें फूल जाती हैं
रोटी ऐसा दर्द है जो थाली में गिरते ही
ज़बान तक रो पड़ती है।
रोटी जीवन की महक से भरा फूल है
जो हाथों की नरमी से ही फलता है
रोटी दैनिक तपस्या है मनुष्य के लिए
रोटी के लिए जलता रहा है सदियों से जिस्म
रोटी कभी जलनी नहीं चाहिए।