लाड प्यार के
बालपन में पलकर
सदी जवाँ हो चली है

भटकाव का
किशोर वय समाप्त हुआ
सपनों के सुनहरे साल
अब सच होंगे

फ़रेब से गुरेज़ सीखकर
अब न भटकेगी तरुणाई
अब न बँटेंगे भाई भाई
माटी का मान बढ़ेगा
जो ठहर गया दौड़ेगा

मुबारक दीवाली होगी
शुभदायक ईद मनेगी
वो ईसा की अरदास करेगा
हम गुरुग्रंथों में मसीह पा लेंगे।

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© मनोज मीक

मनोज मीक
〽️ मनोज मीक भोपाल के मशहूर शहरी विकास शोधकर्ता, लेखक, कवि व कॉलमनिस्ट हैं.