कलुआ आएगा तो
बनेगी चाय…
लाएगा दूध कलुआ
अपने डोलू में…
फिर घर भर के लिए
बनेगी चाय!
हाँ मिलेगी कलुआ को भी
डाली जाएगी एक कप चाय
ऊपर से
उसके अलग से रखे कप में,
ताकि छू न जाए
दोनों कप एक दूसरे को
और बिगड़ न जाए
समाज का संतुलन…

अनुपमा झा
कविताएं नहीं लिखती ।अंतस के भावों, कल्पनाओं को बस शब्दों में पिरोने की कोशिश मात्र करती हूँ।