सत्ता की भूख वो भूख है प्यारे,
जिसने कई ग़रीबों के घर है उजाड़े,
कुर्सी की ख़ातिर करते यह ऐसे पाप हैं,
चुनाव के दौरान गधा भी इनका बाप है,

राजनीति करते यहाँ फौजियों के नाम पर ,
सवाल इनसे पूछो तो कहते अपना काम कर,
काम ऐसे करते हैं जैसे हों यह गुंडे,
छात्रों पर चलवाते लाठी ओर डंडे,

गुंडों को पूरी देते ये छूट हैं,
आम आदमी इनकी नज़रों में मूर्ख है ,
बात ऐसी करते जैसे हों महाज्ञानी,
जेब इनसे भारी पड़ती है हमको बचानी,

सबसे ऊँची मूर्ति इन लोगों ने बनवाई है,
पचास फीट की सीढ़ी इनसे ना बन पाई है,
देशभक्ति का यह सबसे माँगते प्रमाण हैं,
क्या झूठ बोलना ही देशभक्ति की पहचान है?

अब्दुल वहाब
मेरे पुख़्ता इरादे ख़ुद मेरी तक़दीर बदलेंगें , मेरी क़िस्मत मोहताज़ नही मेटे हाथों की लकीरों की । Student of POLITICAL SCIENCE , AMU , Aligarh