बाबा हमेशा कहा करते हैं
अच्छा और बुरा का सन्तुलन सदियों से चलता रहा है
पहले जब शहर शैशवावस्था में था, हर ओर गाँव थे
अच्छे लोग बुरे की तुलना में अधिक थे।
संवेदनशील और कारण रहित लोग
भीड़ नहीं, समाज होते थे।
अब गाँव और बाबा दोनों वृद्ध हैं।
हर ओर व्यस्त शहर है…
मैं बाबा से कहता हूँ अब सड़क पर साईकिल कम दिखती है
प्रदुषण और रफ्तार के पहिऐ ने समय के साथ
साईकिल को कुचल डाला।
इक्के दुक्के जो है कुछ सालों में पीछे रह जाऐंगे
बाबा इत्मीनान से कहते हैं
जब बुरे लोग एक दूसरे की बुराई से ही घुटने लगेंगे।
तब वो देवताओं की गुहार लगाऐंगे।
और पाऐंगे ‘अच्छे’ लोगो की संगति की सलाह।
पुरानी दुनिया के संवेदनशील लोग
व्यस्त, सुर्ख शहर में भीगे लोग।
अच्छे लोगों का अस्तित्व कभी खत्म नहीं होगा
बुरे लोगों का पनपना भी अनंतकाल तक रहेगा
वक्त की धुरी पर उतार चढ़ाव की रीति है
जैसे बगल वाले मिश्रा अंकल को
डॉक्टर ने साईकिल चलाने को कहा है
कार पर लगातार सफर करने से उनकी रीढ़ जम गई
आज बाबा को उनके साथ बाजार जाना है
नयी बाईस इंच की एटलस साईकिल खरीदने।