जल गया जीवन रह गयी राख
जल गयीं सब बातें बस बाकी याद है
सूख चुकी हैं पत्तियाँ
अब बाकी बस शाख है
टूट चुके सब स्वप्न सुखद
अब सवेरा लगता है दुखद
क्या है मिलन, क्या बिछुड़न
क्या है खुशी और क्या गम
बस रह गया विषाद है
बुझ गया वह चाँद
रह गया बस स्मरण
जल गया जीवन
रह गया बस हृदय स्पंदन।

अनुपमा मिश्रा
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