सूरज दादा निकला भाई,
अँधेरों की हुई पिटाई।
धरती का स्कूल खुल गया,
मुर्गे ने जब बाँग लगाई।
पेड़ सब सावधान हो गए,
कोयल ने जब सीटी बजाई।
चिड़ियों ने संगीत है सीखा,
तितलियों ने सीखी रंगाई।
मच्छर तो फुटबॉल खेलते,
गिलहरियों ने दौड़ लगाई।
फूल-फल सब लाल हो गए,
धूप ने जब छड़ी उठाई।
हरियाली का टिफिन खोल कर,
मिट्टी की फिर चाय बनाई।
पढ़-लिख कर सब चूर हो गए,
घर की ओर दौड़ लगाई।
सूरज दादा लाल हो गए
गैयों ने जब धूल उड़ाई।
हौले से जब रात हो गई,
जुगनुओं ने टॉर्च जलाई।
सो गए है सब अटरू मटरू
अंधेरों की तब हुई जगाई।
?
©️ शिल्पी