रास्तों को बहुत दूर से नहीं देखना चाहिए
संकरे नज़र आते हैं
चीज़ों को भी नहीं, छोटी हो जाती हैं
आदमी को परखना हो
तब तो बहुत पास आ जाना चाहिए।

मैं रेगिस्तान का आदमी हूँ
और मुझे क़ुदरत ने ऐसे रचा है
कि हरा देखकर मैं विस्मय करता हूँ
पानी देखकर तो नदी-मन हो जाता हूँ
किसी को बहते हुए देखना हो
तब तो स्वयं में ठहराव ले आना चाहिए।

मिट्टी को चाक पर घुमाकर
आदमी को इस तरह बनाया गया
कि मन भी घुमन्तू हो गया है
और आत्मा को छूना हो
तब तो स्पर्श का तरीक़ा भी आना चाहिए।

राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]