रास्तों को बहुत दूर से नहीं देखना चाहिए
संकरे नज़र आते हैं
चीज़ों को भी नहीं, छोटी हो जाती हैं
आदमी को परखना हो
तब तो बहुत पास आ जाना चाहिए।
मैं रेगिस्तान का आदमी हूँ
और मुझे क़ुदरत ने ऐसे रचा है
कि हरा देखकर मैं विस्मय करता हूँ
पानी देखकर तो नदी-मन हो जाता हूँ
किसी को बहते हुए देखना हो
तब तो स्वयं में ठहराव ले आना चाहिए।
मिट्टी को चाक पर घुमाकर
आदमी को इस तरह बनाया गया
कि मन भी घुमन्तू हो गया है
और आत्मा को छूना हो
तब तो स्पर्श का तरीक़ा भी आना चाहिए।