‘Stree Aur Prem’, a poem by Nidhi Agarwal
जब देना चाहो किसी स्त्री को प्रेम
एक पिता बनकर जाना
चूमना उसके माथे को
बालों को सहलाना
आगोश में भर विश्वास दिलाना
कि हर विपदा को उस तक
तुमसे होकर गुज़रना होगा
अँगुलियों के पोरों से पोंछना आँसू
और कहना
अपनी सभी अपूर्णताओं के साथ
वह तुम्हारे लिए सम्पूर्ण है
जब पाना हो किसी स्त्री का प्रेम
एक शिशु बन जाना
वह स्नेहिल दृष्टि से अपलक निहारेगी
चूमेगी तुम्हारी दोनो आँखों को बारी-बारी
सीने से लगा तुम्हारे सब संताप
अपने भीतर भर लेगी
तुम्हारी रक्षा करेंगी
कवच बनकर उसकी दुआएँ
पुरुष दर्प से भरी देह लेकर
प्रेम की तलाश कदापि न करना
क्योंकि तब स्त्री भी एक देह भर बन जाएगी।
यह भी पढ़ें: रश्मि मालवीय की कविता ‘प्रेम करना चौखट लाँघना है’