‘Suno Ladki Naya Farmaan’, a poem by Amandeep Gujral
ऐ लड़की सुनो
जब निकलो घर से
एक जोड़ा कपड़ों का साथ रखना,
इन दिनों एक फ़रमान जारी किया गया है
मरने से बचना हो गर तो
बलात्कारियों का सहयोग करना होगा
जब नोचा गया हो एक-एक क़तरा आत्मा तक
घर जाने के लिए वो जोड़ा
तुम्हारे जिस्म की अनगिनत खरोंचे
छुपाने के काम आएगा।
ज़िल्लत बचाने के लिए
ले लेना अज्ञातवास,
क्योंकि सारी सत्ता एकत्रित हो हत्या कर देगी तुम्हारी ओ लड़की…
ऐ लड़की सुनो
मत माँगना इंसाफ़ पुलिस से
सरहद की रेखाओं से ज़्यादा तंग हैं
नियम इन रेखाओं के
कोई किसी के इलाक़े में पैर नहीं रखता
फिर, न्याय माँगना सत्ता के नियमों के ख़िलाफ़ है
ऐ लड़की सुनो
दे कर जाना घरवालों को अपना चरित्र प्रमाण-पत्र
कि काम आ सके रपट लिखाने के
अनहोनी की आशंका में
याद रखना तुम्हारा चरित्र हमेशा सन्देह के दायरे में है।
ऐ लड़की सुनो
उन्हें तुम्हारा उड़ना, रँग-बिरंगे कपड़े पहनना
नहीं है पसन्द
पर, तुम मत छोड़ना उड़ना
बनना सिंहनी
हरे-नारंगी रँग से अलग, गढ़ना एक नया रँग
हारना नहीं, तुम बनाना
एक नया समाज
अपने बेटों को सजग प्रहरी
सिखाना उन्हें पुरुष होने से पहले इन्सान बनना।
अमनदीप / विम्मी
13/12/2019
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