सुनो-
मेरे माथे पर
सूरज उगा देना तुम,
टांक देना चाँद भी
पलकों के बीच जाती
सीधी रेखा पर,
उन आकाशगंगाओं में
कर देना स्थापित,
जो जन्म लेती हैं
तुम्हारे स्मरण मात्र से।
और मेरे होठों की उष्मा
अर्पित कर देना उसे।

सुनो-
मेरे फलक पर
सूरज उगा देना तुम।
सभ्यताओं के अंत में
जब खोजा जाएगा
प्रेम होने का अवशेष,
तुम उसी सूर्य की रश्मियों का
साक्ष्य दे देना-
कि हम वहीं थे,
रच रहे थे नई दुनिया।
मेरे माथे पर सूरज
उगा देना तुम,
पलकों के पार
चाँद खिला देना तुम।