तब के नेता जन-हितकारी,
अब के नेता पदवीधारी।
तब के नेता किए कमाल,
अब के नित पहने जयमाल।

तब के नेता पटकावाले,
अब के नेता लटका वाले।
तब के नेता गाँधीवादी,
अब के नेता निरे विवादी।

तब के नेता काटे जेल,
अब के आधे चौथी फेल।
तब के नेता गिट्टी फोड़ें,
अब के नेता कुर्सी तोड़ें।

तब के नेता डण्डे खाएँ,
अब के नेता अण्डे खाएँ।
तब के नेता लिए सुराज,
अब के पूरा भोगें राज।

तब के नेता बने भिखारी,
अब के नेता बने शिकारी।
तब के एक पंथ पर चलते,
अब के नेता रंग बदलते।

तब के त्यागी, तपसी, सीधे,
अब के नेता वोट खरीदे।
तब के नेता सब ठुकराए,
अब के शाही महल बनाए।

तब के को आराम-हराम,
अब के को सबसे प्रिय दाम।
तब के नेता को हम मानें,
अब के नेता को पहिचाने।

कोदूराम दलित
हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा के भारतीय कवि!