Tag: A bird in oneself

Narendra Jain

कुल्हाड़ी

यहाँ लकड़ी कटती है लगातार थोड़ा-थोड़ा आदमी भी कटता है किसी की उम्र कट जाती है और पड़ी होती धूल में टुकड़े की तरह शोर से भरी इस गली में कहने...
Blue Bird

एक चिड़िया उसके भीतर

'Ek Chidiya Uske Bheetar', a poem by Puran Mudgal कैसे रहे होंगे वे हाथ जिन्होंने चिड़िया का चित्र बनाया बहुत बार उड़े होंगे आकाश की ऊंचाइयों में कितनी बार सुनी...
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