Tag: A bird in oneself
कुल्हाड़ी
यहाँ लकड़ी कटती है लगातार
थोड़ा-थोड़ा आदमी भी कटता है
किसी की
उम्र कट जाती है
और पड़ी होती धूल में टुकड़े की तरह
शोर से भरी
इस गली में
कहने...
एक चिड़िया उसके भीतर
'Ek Chidiya Uske Bheetar', a poem by Puran Mudgal
कैसे रहे होंगे वे हाथ
जिन्होंने चिड़िया का चित्र बनाया
बहुत बार उड़े होंगे
आकाश की ऊंचाइयों में
कितनी बार सुनी...