Tag: A not so bad day
शुभम नेगी की कविताएँ
अख़बार
दरवाज़ा खोलने से पहले ही
रेंगकर घुसती है अंदर
सुराख़ में से
बाहर दुबके अख़बार पर बिछी
ख़ून की बू
अख़बार वाला छोड़ जाता है आजकल
मेरे दरवाज़े पर
साढ़े चार रुपये...
एक न-बुरा सा दिन
सबसे बुरे दिनों में आता है ख्याल
कि अब तक के सारे दिन नहीं थे इतने बुरे
ख्याल आता है कि इकहरे बुरे दिनों का होना...