Tag: a poem against patriarchal society

Sadness, Grief, Painting, Woman

आख़िर स्त्रियों को कितना सहना चाहिए

एक दिन मैं बारी-बारी से उन सारी जीवट और कर्मठ स्त्रियों पर कविता लिखूँगी जो एकदम नमक की तरह होती हैं खारेपन से बनी होती है उनकी देह कविता...
Girl Power, Girl, No

तुम्हारे पढ़ने के योग्य नहीं

शुक्राणुओं की कमी से मर जातें है आशा के कुछ स्वप्न और मस्तिष्क की रसोईघर में पकती रहती हैं स्वप्नदोष की कुछ नग्न तस्वीरें जिन्हें एक दिन कांच...
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