Tag: a poem against war

Hand, Touch

घुँघरू परमार की कविताएँ

शीर्षासन देश, जो कि हमारा ही है इन दिनों शीर्षासन में है। इसे सीधा देखना है तो आपको उल्टा होना होगा। माथे में बारूद घुमड़ता रहता अक्सर आधे हाथ नीचे धंसे...
Pigeon, Peace, Bird

प्रेम ही एकमात्र बचा हुआ सफ़ेद ध्वज होगा

सारी लाशें उठकर चल पड़ेंगी क़ब्र को चीरकर सरहदों पर दफ़नाए गए सैनिक रो पड़ेंगें दोनों ओर की ज़मीन से फूटेगा ख़ून का एक दरिया पेड़ों की पत्तियाँ हो जाएँगी सुर्ख़ सारे...
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