Tag: A poem on harmony between countries

Kumar Ambuj

अमीरी रेखा

मनुष्य होने की परम्परा है कि वह किसी कंधे पर सिर रख देता है और अपनी पीठ पर टिकने देता है कोई दूसरी पीठ ऐसा होता...
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