Tag: A poem on language

Rohit Thakur

भाषा

वह बाज़ार की भाषा थी जिसका मैंने मुस्कुराकर प्रतिरोध किया वह कोई रेलगाड़ी थी जिसमें बैठकर इस भाषा से छुटकारा पाने के लिए मैंने दिशाओं को लाँघने की कोशिश की मैंने...
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