Tag: A poem on love and relationship

ग्लोबल वॉर्मिंग

मेरे दिल की सतह पर टार जम गया है साँस खींचती हूँ तो खिंची चली आती है कई टूटे तारों की राख जाने कितने अरमान निगल गयी हूँ साँस...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)