Tag: A poem on regrets

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प्रक्रिया

'Prakriya', Hindi poem by Pranjal Rai ठोकर खाकर गिरा एक बच्चा, किन्तु धूल झाड़ते हुए जो उठा वह एक समझदार आदमी था। इस बार वह और ज़्यादा ताक़त...
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