Tag: A poem on society’s disapproval of love

Kushagra Adwaita

प्यार मत करना

जिस शहर में पुश्तैनी मकान हो बाप की दुकान हो गुज़रा हो बचपन हुए तुम जवान हो उस शहर में प्यार मत करना जिस शहर से ले जानी पड़े बारात बाँधनी पड़े पगड़ी करनी...
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