Tag: Abhishek Dwivedi

फ़ासले

ज़रा फ़ासलों से परेशान हूँ, ना हो तुम मेरी तो थोड़ा हैरान हूँ, तुम क़ाबा हो, मैं काशी हूँ, तुम पैग़म्बर, मैं सन्यासी हूँ, तुम जीवन, मैं आह्वान...

ये रात

घोर सन्नाटे को खुद में समेटे हुए, सर्द हवाओं को खुद में लपेटे हुए, किसी को नींद की आगोश में ले जाते हुए, ये रात कुछ कह...

खुमार-ए-बनारस

खो जाता हूँ काशी में, साधु और सन्यासी में, गंगा के उन घाटों में, रेतों के उकरे पाटों में, पहलवान की लस्सी में, और घाट बनारस अस्सी में, मालवीय जी...

है ना?

एक इंजीनियर होकर लेखक / कवि होना होना कठिन है। आप साहित्य नहीं जानते (क्योंकि, निश्चित रूप से आपने इंजीनियरिंग को चुना था), आप...

तुमको मैं बताता क्या?

तुमको बिठा के मैं बताता क्या? लफ़्ज़ों की कमी थी मैं सुनाता क्या? बिताने थे चंद लम्हें ज़िन्दगी के, ज़िन्दगी ही छोटी थी बिताता क्या? कभी सहर हुई,...
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