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Bhuvaneshwar

डाकमुंशी

"लड़कों के गुल-गपाड़े, स्त्रियों के गाली-गलौज, प्रेमियों के दिनदहाड़े चुम्बनों में डाकमुंशी एक साफ कागज पर चीना का नाम लिख अपना टूटा-फूटा कलमदान लेकर पंचायत करने बैठता था।"
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