Tag: affection

Trilochan

स्नेह मेरे पास है

स्नेह मेरे पास है, लो स्नेह मुझसे लो! चल अन्धेरे में न जीवन दीप ठुकराओ साँस के संचित फलों को यों न बिखराओ पत्थरों से बन्धु अपना सिर...
Mother Child

ममता

माँ की आँखें वो निश्छल, निर्गुण-सी आँखें आँख कहाँ होती है वो होती है एक पात्र जलमग्न अविरल जिसमें बहती है ममतामयी धारा और छलक आती है पल में मोती-सी पावन बूँदें जरा...
Dharmvir Bharati

गुलकी बन्नो

कहते हैं वास्तविक जीवन गली-मोहल्लों में देखने को मिलता है, इसका एक कारण यह है कि यही हमारे आधुनिक परिवेश का इतिहास रहा है, हम वहीं से उठ कर आए हैं.. और दूसरा यह कि इन्हीं जगहों पर मानवीय संवेदना अपने मूल और नग्न रूप में देखने को मिलती है.. ऐसा ही एक जीवन दिखाती, धर्मवीर भारती की इस कहानी का एक मुख्य पात्र इसका परिवेश, इसका वातावरण भी है, जो अन्य पात्रों के साथ इस कहानी के पाठकों पर पड़ने वाले प्रभाव में मुख्य भूमिका निभाता है.. गुलकी से झगड़ते, उसे परेशान करते, उस पर हँसते गली के बच्चे कैसे कहानी के अंत में अपनी 'छोटी-छोटी पसलियों में आँसू जमा' हुआ पाते हैं, पढ़ने लायक है...

एक पेड़

(पापा के लिए) एक पेड़ मेरी क्षमता में जिसका केवल ज़िक्र करना भर है जिसे उपमेय और उपमान में बाँधने की न मेरी इच्छा है, न ही सामर्थ्य एक...
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