Tag: Ahmad Nadeem Qasmi
अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की
अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की
कोई पहचान ही बाक़ी नहीं वीरानों की
अपनी पोशाक से हुश्यार कि ख़ुद्दाम-ए-क़दीम
धज्जियाँ माँगते हैं अपने गरेबानों...
तुझे खोकर भी तुझे पाऊँ जहाँ तक देखूँ
तुझे खोकर भी तुझे पाऊँ जहाँ तक देखूँ
हुस्न-ए-यज़्दाँ से तुझे हुस्न-ए-बुताँ तक देखूँ
तूने यूँ देखा है जैसे कभी देखा ही न था
मैं तो दिल...
रेस्तोराँ
रेस्तोराँ में सजे हुए हैं कैसे-कैसे चेहरे
क़ब्रों के कत्बों पर जैसे मसले-मसले सहरे
इक साहिब जो सोच रहे हैं पिछले एक पहर से
यूँ लगते हैं...
कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊँगा
कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ, समुंदर में उतर जाऊँगा
तेरा दर छोड़ के मैं और किधर जाऊँगा
घर में...
एक दरख़्वास्त
ज़िन्दगी के जितने दरवाज़े हैं, मुझ पे बंद हैं
देखना— हद्द-ए-नज़र से आगे बढ़कर देखना भी जुर्म है
सोचना— अपने अक़ीदों और यक़ीनों से निकलकर सोचना...