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Alok Mishra

तवज्जोह तो अब ख़ैर क्या पाएँगे

ग़ज़लें : आलोक मिश्रा 1 तवज्जोह तो अब ख़ैर क्या पाएँगे मगर दिल की ख़ातिर चले जाएँगे भटकते रहेंगे तुम्हारे ही गिर्द निगाहों में लेकिन नहीं आएँगे कहाँ हैं अलग...
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