Tag: Amar Dalpura
कविताएँ: दिसम्बर 2020
फ़ौज के दिन
फ़ौज की बैरकें
मोर्चे
गन और गोला-बारूद
सुरक्षा में कितना डर होता है
अर्ध-रात्रि में
बैरक की खिड़की से गोली की तरह आता है भय
क़तार में लगी...
कविताएँ: अक्टूबर 2020
1
इन घरों में घास क्यों उगी है
कौन रहता था यहाँ
काठ पर ताला किसकी इच्छा से लगाया है
इस आँगन को लीपने वाली स्त्री
और उसका आदमी
कहाँ...
जीवन का दृश्य
गाँव में चाँद
नीम के ऊपर से
पीपल के पत्ते जैसा
पहाड़ों के पार चमकता है,
बच्चे गेंद जैसी आँखों से
चाँद का गोल होना देखते हैं
और दादी की...