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पलाश के फूल
नये मकान के सामने पक्की चहारदीवारी खड़ी करके जो अहाता बनाया गया है, उसमें दोनों ओर पलाश के पेड़ों पर लाल-लाल फूल छा गए...
एक थी गौरा
लम्बे क़द और डबलंग चेहरे वाले चाचा रामशरण के लाख विरोध के बावजूद आशू का विवाह वहीं हुआ। उन्होंने तो बहुत पहले ही ऐलान...
लड़का-लड़की
"तारा, तुमको बड़ी से बड़ी कुरबानी के लिए तैयार रहना चाहिए। तुमको किसी से डरना नहीं है, तुमको अधिक से अधिक परिश्रम करके, अधिक से अधिक पढ़ना है। किसी के सामने आने पर सर झुकाने की जरूरत नहीं है। मैं सबको देख लूँगा। तारा मुझे योग्य स्वाभिमान स्त्रियाँ पसंद है। तुम्हें मेरे विचारों के योग्य बनना है।"
डिप्टी कलक्टरी
"लड़का है तो लेकर चाटो! सारी खुराफात की जड़ तुम ही हो, और कोई नहीं! तुम मुझे जिंदा रहने देना नहीं चाहतीं, जिस दिन मेरी जान निकलेगी, तुम्हारी छाती ठंडी होगी!"
"आप में क्या खूबी है, साहब, कि आप डिप्टी-कलक्टर हो ही जाएँगे? थर्ड क्लास बी.ए. आप हैं, चौबीसों घंटे मटरगश्ती आप करते हैं, दिन-रात सिगरेट आप फूँकते हैं। आप में कौन-से सुर्खाब के पर लगे हैं?"
दोपहर का भोजन
क्या आपके घर की औरतें आपसे बात करने से डरती हैं? क्या वे हमेशा इस कोशिश में लगी रहती हैं कि घर के बाकी सदस्यों के बीच के घर्षण को किसी भी तरह दूर कर दें? आप उनके खाने में कमी निकालने में बिलकुल नहीं हिचकते, लेकिन वो आपकी आर्थिक या व्यावसायिक अक्षमता के लिए भी आपसे सवाल तक नहीं करतीं? यदि हाँ, तो एक बार यह कहानी ज़रूर पढ़िए!
बहादुर
'बहादुर'। हमारे घरों में काम करने वाले दूर देशों से आए 'बहादुरों' की कहानी। किसी के काम से उस इंसान को तौलने की और उसी के आधार पर उसके साथ व्यवहार करने की हमारी आदतों को झेलना भी कम बहादुरी की बात तो नहीं! या है? पढ़िए..! :)