Tag: Amrita Bharti

Amrita Bharti

मेरा अपनापन

मैंने अपनी उपस्थिति का अर्थ इन दरख़्तों के बीच कितनी देर में जाना जो कटकर भी लकड़ी नहीं बनते और जमे रहकर भी वृक्ष नहीं। कितनी देर में आयी वह...
Woman in Tunnel, Silhouette

अपनी ही अन्यत्रता

मैं भाग रही हूँ। बाहर अँधेरा हो गया मेरे रास्तों पर पर अन्दर अब तक रोशनी नहीं हुई। स्मृति में दबी हुई आग को अलग कर रही हैं टूटी हुई टहनियों की तरह उँगलियाँ और ठण्डी...
Couple, Love, Waves, Abstract

पहचान

या तो वह बहुत पास था या बहुत दूर और ये दोनों वहाँ नहीं थे जहाँ मैं थी। मानो मैं एक अन्तराय थी एक 'बीच'— एक परिचय उसके निकटतम होने का उसकी दूरस्थता का मानो मैं एक पहचान...
Abstract, woman

तुम कहाँ हो

तुम कहाँ हो? यहाँ नहीं वहाँ नहीं शायद अन्दर हो पर हर कन्दरा के मुख पर भारी शिला का बोझ है मैं भी यहाँ नहीं वहाँ नहीं शायद अन्दर हूँ पर यह जो बाहर...
Woman in Tunnel, Silhouette

पुरुष-सूक्त : अँधेरे की ऋचा

वह एक समय था। मैं पहाड़ों से चाँदनी की तरह उतरा करती थी और मैदानों में नदी की तरह फैल जाती थी मेरे अन्दर हिम-संस्कृति की गरिमा...
Couple, Love, Waves, Abstract

जब कोई क्षण टूटता

वह मेरी सर्वत्रता था मैं उसका एकान्त— इस तरह हम कहीं भी अन्यत्र नहीं थे। जब कोई क्षण टूटता वहाँ होता एक अनन्तकालीन बोध उसके समयान्तर होने का मुझमें। जब कोई क्षण टूटता तब मेरा एकान्त आकाश नहीं एक छोटा-सा...
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