Tag: Amrita Pritam
मुलाक़ात
मुझे पल-भर के लिए आसमान को मिलना था
पर घबरायी हुई खड़ी थी
कि बादलों की भीड़ में से कैसे गुज़रूँगी
कई बादल स्याह काले थे
ख़ुदा जाने—कब...
अमृता प्रीतम – ‘अक्षरों के साये’
अमृता प्रीतम की आत्मकथा 'अक्षरों के साये' से उद्धरण | Quotes from 'Aksharon Ke Saaye', by Amrita Pritam
"यह मेरा और साहिर का रिश्ता, रिश्तों...
हम ग़द्दार
अमृता प्रीतम की सम्पादकीय डायरी से
मैं नहीं जानती—दुनिया में पहली कौन-सी राजनीतिक पार्टी थी, और समय का क्या दबाव था कि उसे लोगों की...
यह कहानी नहीं
अमृता प्रीतम की आत्मकथा 'अक्षरों के साये' से
पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता,...
अमृता प्रीतम के खुशवंत सिंह से सात सवाल
अमृता: खुशवंत जी, सारी ज़िन्दगी आपका सम्बन्ध सरमायेदार श्रेणी से रहा है, पर उस श्रेणी का ग़ुरूर आपको छू नहीं सका। सारी ज़िन्दगी आपने...
याद
आज सूरज ने कुछ घबराकर रोशनी की एक खिड़की खोली
बादल की एक खिड़की बन्द की और अँधेरे की सीढ़ियाँ उतर गया
आसमान की भवों पर...
तू नहीं आया
चैत ने करवट ली, रंगों के मेले के लिए
फूलों ने रेशम बटोरा—तू नहीं आया
दोपहरें लम्बी हो गईं, दाखों को लाली छू गई
दराँती ने गेहूँ...
बातें
आ साजन, आज बातें कर लें
तेरे दिल के बाग़ों में हरी चाय की पत्ती-जैसी
जो बात जब भी उगी, तूने वही बात तोड़ ली
हर इक...
जंगली बूटी
अंगूरी, मेरे पड़ोसियों के पड़ोसियों के पड़ोसियों के घर, उनके बड़े ही पुराने नौकर की बिल्कुल नयी बीवी है। एक तो नयी इस बात...
ख़ाली जगह
सिर्फ़ दो रजवाड़े थे-
एक ने मुझे और उसे
बेदख़ल किया था
और दूसरे को
हम दोनों ने त्याग दिया था।
नग्न आकाश के नीचे-
मैं कितनी ही देर
तन के...
पहचान
तुम मिले
तो कई जन्म
मेरी नब्ज़ में धड़के
तो मेरी साँसों ने तुम्हारी साँसों का घूँट पिया
तब मस्तक में कई काल पलट गए
एक गुफ़ा हुआ करती थी
जहाँ मैं...
दावत
रात-कुड़ी ने दावत दी
सितारों के चावल फटककर
यह देग किसने चढ़ा दी
चाँद की सुराही कौन लाया
चाँदनी की शराब पीकर
आकाश की आँखें गहरा गईं
धरती का दिल...