Tag: Anamika Anu
कविताएँ: अक्टूबर 2020
तुम्हारा सम, मेरा विषम है
तुम मिले अब तक नहीं मुझसे
चार दशक से हम भाई-बहन हैं
तुम माँ के बेटे हो
मैं बेटी हूँ बाग़ी
हम दोनों के...
अनामिका अनु की कविताएँ
कौवा
कल तक यहीं थी
बड़ी आँखों वाली मालू
और फुदकता निरंजन,
जहाँ निरंजन की फटी आँखों
की पुतली पसरी हैं
वहीं उसने रोपा था तीरा मीरा
के बीजों को
चिथड़े तन...