Tag: Anupama Jha

Woman, River

नदी और स्त्री

स्त्री होना या होना नदी! क्या फ़र्क़ पड़ता है? दोनों ही उठतीं, गिरतीं बहतीं, रुकतीं एक बदलती धारा एक बदलती नियति। एक सोच एक धार मिल जाती है किसी न किसी सागर से और हो जाती है एकाकार सागर में अपने...
Silent, Quiet, Silence, Woman, Shut, Do not speak, Taboo

मौन का वजूद

हर काल में मौन को किया गया परिभाषित अपने तरीक़े से अपनी सुविधानुसार। मौन को कभी ओढ़ा दिया गया लाज का घूँघट, कभी पहना दिया स्वीकृति का जामा। पलटकर बोलने वाली स्त्रियों को दी गयी उपाधि बेहया...
Women from village

वसीयत

कुछ विरासत की वसीयत है मेरे नाम— कुछ को मैं ख़ारिज करती हूँ, कुछ को सौपूँगी अगली पीढ़ी की स्त्रियों को एक बाइस्कोप है घूँघट के रूप में जिसकी ओट से वही दिखाया...

संतुलन

कलुआ आएगा तो बनेगी चाय... लाएगा दूध कलुआ अपने डोलू में... फिर घर भर के लिए बनेगी चाय! हाँ मिलेगी कलुआ को भी डाली जाएगी एक कप चाय ऊपर से उसके अलग से...

हादसा और सवाल

एक हादसा हुआ था पर चटपटी खबर बन गयी हर छोटे बड़े अख़बारों की मैं सुर्ख़ियाँ बन गयी हादसे से किसी को नहीं सरोकार क्या थी मेरी ग़लती सब थे जानने को...

वहम

वहमी हूँ मैं हाँ, वहम पाल रखा है, तुम्हारे होने का होता है एहसास तुम्हारे शब्दों का तुम्हारी छुअन का जो कहा नहीं तुमने उन बातों को सुनने का और ख़ुद, मुस्कुराने का पता...

काली स्त्री

ज़रूरी नहीं सब गोरी स्त्री सुन्दर हों कुछ काली भी होती हैं मन की मिट्टी पर कल्पना के कपास उगाती हैं, और उड़ा देती हैं अपने शब्दों को फाहे में सम्भाल आसमाँ की ओर कभी सम्भाल...
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