Tag: Anurag Anant
स्वप्न-प्रसंग
तुमने कहा था एक बार
गहरे स्वप्न में मिलोगी तुम
कितने गहरे उतरूँ स्वप्न में
कि तुम मिलो?
एक बार मैं डूबा स्वप्न में इतना गहरा
कि फिर उभरा...
तुम्हारे कंधे से उगेगा सूरज
तुम्हारी आँखें
मखमल में लपेटकर रखे गए
शालिग्राम की मूरत हैं
और मेरी दृष्टि
शोरूम के बाहर खड़े
खिलौना निहारते
किसी ग़रीब बच्चे की मजबूरी
मैंने जब-जब तुम्हें देखा
ईश्वर अपने अन्याय...
कविताएँ: दिसम्बर 2020
कवि, पुरुष और छली गई स्त्रियाँ
तुम्हारी देह के आगे कोई शब्द ही नहीं मिलता
मेरा पुरुष मेरे कवि की बाधा है
और मेरा कवि मेरे पुरुष की...