Tag: Archana Verma
संकल्प
बड़ा था तो क्या, था तो आँगन ही।
दीवारें थीं। छत नहीं थी, ग़नीमत
वरना इतना-सा आकाश भी
मेरे हिस्से में न होता।
आकाश था तो क्या, पंख...
राजद्रोह
'Rajdroh', Hindi Kavita by Archana Verma
राजा बहुत भला था, राजा की
इच्छा थी एक ही ऐसी उद्दाम कि
अभी इसी वक़्त प्रजा हो सुखी इतनी
और ऐसी कि...
शोक-गीत
'Shok Geet', a poem by Archana Verma
फूलों में फूटकर
गाती है लता
पतझड़ का शोक-गीत
और तुम कहते हो
वसंत है
फूटने के बाद बस
फूल ही दिखता है
या थरथराती...
न कुछ चाहकर भी
इस घने घुप्प अँधेरे में
आस पास गूँजता सरसराता है तुम्हारा सवाल
सन्नाटे की साँस का झोंका हो जैसे-
"आखिर मैं तुमसे चाहती क्या हूँ?"
जवाब के पहले...
बचपन की कहानियों का राजकुमार
हवा से तेज़ घोड़े पर सवार
बड़ी खतरनाक मुहिम पर निकला था
बचपन की कहानियों का राजकुमार।
चलने के पहले ही गुरु ने समझाया था
पहले गये हुए...
सौख
कविता संग्रह 'लौटा है विजेता' से
झुनिया को चर्राया
इज़्ज़त का सौख
बड़के मालिक की
उतरन का कुरता
देखने में चिक्कन
बरतने में फुसफुस
नाप में भी छोटा
कंधे पर
छाती पर
कसता
बड़ी ज़िद और...
आदत
'Aadat', a poem by Archana Verma
मरदों ने घर को
लौटने का पर्याय बना लिया
और लौटने को मर जाने का
घर को फिर उन्होंने देखा ही नहीं
लौटकर...