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Harivanshrai Bachchan

ड्राइंगरूम में मरता हुआ गुलाब

गुलाब तू बदरंग हो गया है बदरूप हो गया है झुक गया है तेरा मुँह चुचुक गया है तू चुक गया है। ऐसा तुझे देखकर मेरा मन डरता है फूल इतना डरावाना होकर...
Adarsh Bhushan

ढोंग

कविताओं को किसी आडम्बर की आवश्यकता नहीं आकाश बादलों से प्रेम के लिए धरा बारिश के उन्माद के लिए निशा तारिकाओं से अनुरक्ति के लिए विटप पखेरुओं से हेत...
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