Tag: Ashok Singh Ashk

हताशा

आज की ताजा ख़बर... से नींद उचट गयी देहरी पर से अख़बार उठाकर चाय की ख़ुशबू के साथ आँखों में चश्मा चढ़ाकर बैठ गया अख़बार का पहला पेज सरकार का...

जब कभी

जब कभी खूब तन्हाई में, मैं तुम्हें आवाज़ दूँ तो तुम सुनना, एक बच्चे को माँ की तरह। जब मैं लड़ते-लड़ते थक जाऊँ तो तुम हमेशा मेरे पीछे खड़े...

बनारस गली

बनारस की गालियाँ ऐसी हैं, जैसे एक खूबसूरत स्त्री के बेफ़िक्री से खुले बाल। कुछ सुनहरा रंग लिए हुए, कुछ काले सी कुछ रेल की पटरियों सी...
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