Tag: Assamese Poetry

Sananta Tanti

अपने लिए

करता हूँ कृतित्व सारा मैं अपने नाम जितने हैं द्वार जीवन-मरण के बीच खोले हैं ख़ुद मैंने प्रतिदिन फिर ख़ुद ही आबद्ध हुआ किसी वृत्त में, अस्थिर हो खोया मैंने ज्ञान-विवेक तोड़ी सीमाएँ सभ्यता...
Nilim Kumar

चिरैया

चिरैया नहीं जानती क्यों हैं वो चिरैया मैं उसके, केवल उसके पंखों में सिमटकर सो जाना चाहता हूँ खो जाना चाहता हूँ उस नन्ही चिरैया से भी अधिक निःस्व हूँ मैं उससे...
Anubhav Tulasi

चिरश्री

अभी तो हुई थी हमारी मुलाक़ात पिछली रात विजय इंटरनेशनल के भीतरी प्रांगण में कोणार्क से कानों-कान आयी छोटी-सी ख़बर फैली जंगल की आग-सी छू गयी जलस्त्रोत चन्द्रभागा के मुझे बुलवाया था तुमने अनजाने...
Sameer Tanti

पर्वत के उस पार

पर्वत के उस पार कहीं लो बुझी दीपशिखा इस पार हुआ धूसर नभ उतरे पंछी कुछ अजनबी नौका डूबी... उस पार मगर वो पेड़ ताकता रहा मौन मृदु-मन्द सुरीली गुहार देता रहा...
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