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‘औरत’ – नुक्कड़ नाटक – जन नाट्य मंच
"सास-ससुर की आज्ञा मानोगी। पति को साक्षात भगवान जानोगी, पहले उन्हें खिलाओगी, फिर खुद खाओगी। पति ससुर अन्याय भी करें तो उसे न्याय मानोगी, कभी पलट कर उत्तर नहीं दोगी, आँखें सदा नीची रखोगी, घर का काम काज संभालोगी।
फौरन कोई काम तलाश करोगी, सबेरे ही सब्जी मंडी से साग तरकारी लाओगी। फिर कुएँ से पानी। बाबा का हुक्का भरोगी। झाड़ू-पोंछा, चौका चक्की सब तुम्हीं संभालोगी।
इस घर में आराम करने नहीं बोझ बंटाने आई हो। अपनी सास को आराम दोगी। सारा काम संभालोगी।
तथास्तु!"