Tag: Aziz
कला
भ्रष्ट करता है कला को, कला को
बेहतर करने का हर प्रयास।
कला को नहीं दरकार विषय,
विशेषण या विश्लेषण।
कला के हर भ्रष्ट स्वरूप में है
एक छोटा-सा सत्य...
गवाचीयाँ गल्लां – अनवर अली
"हिंदू मुसलामानों की तमाम बातें सुनाते हुए अनवर ख़ुद कहीं भी मज़हबी या कट्टर नहीं नज़र आते। अपनी जवानी की हिमाक़तें, बचपन की बेवकूफ़ियाँ आप क़ुबूल करते चलते हैं। इसलिए किताब किसी मक़ाम पर भी किसी एक ज़ात के ख़िलाफ़ या किसी एक के हक़ में खड़ी होती ही नहीं है, बल्कि इस तरह की हर अपरिपक्वता की खिल्ली उड़ाती अपनी राह चलती जाती है।"