Tag: baadal par kavita

Subhadra Kumari Chauhan

पानी और धूप

अभी अभी थी धूप, बरसने लगा कहाँ से यह पानी किसने फोड़ घड़े बादल के की है इतनी शैतानी। सूरज ने क्‍यों बंद कर लिया अपने घर का दरवाज़ा उसकी...
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