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उम्मीदों का अफ़साना – ‘बाहिर’

उम्मीदों का अफ़साना - 'बाहिर' (समीक्षा: प्रदुम्न आर. चौरे) "आते हैं राहों में मसाइब कई, यूँ ही नहीं होता करिश्मा कोई।" यह शेर मैंने पॉल ए कॉफ़मेन द्वारा...
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