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Balkrishna Bhatt

सुनीतितत्वशिक्षा (मॉरालिटी) क्यों आवश्यक है

"खूबसूरती बढ़ाने को खिजाब लगाते हैं, पियर्स सोप, गोल्डेन आईल काम में लाते हैं। सेरों लवेंडर तरह-तरह के इत्र मला करते हैं जिसमें सौन्दर्य और फैशन में कहीं से किसी तरह की त्रुटि न होने पावे। किन्तु इसका कहीं जिकिर भी न सुना कि सुनीतितत्व संबंधी सौंदर्य Moral Beauty, सुनीति के नियमों पर चलने का बल Moral Strength क्या है, उसको कैसे अपने में लायें या उसे कैसे बढ़ायें।"
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संसार में भलाई अधिक है कि बुराई

"कलियुग है ऐसा बार-बार कह निश्चय किए बैठे हैं कि हम लोग नित्य-नित्य बिगड़ते ही जाएँगे, येन केन हम अपनी जिंदगी का दिन काट पूरा करें, बस हो गया। हम उनसे केवल इतना ही पूछते हैं कि क्या अमेरिका और यूरोप के देशों में तथा हमारे पड़ोस ही में जापानीज हैं, क्या वहाँ यह युग धर्म नहीं व्याप्ता? युग धर्म निगोड़ा भी क्या वही हते को हतता है?"
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हम डार-डार तुम पात-पात

यह गँवारू मसला है हम डार-डार तुम पात-पात। हमारी गवर्नमेंट ठीक-ठीक इस मसले के बर्ताव के अनुसार चलती है। पहले तो ईश्वर की कृपा से यह देश ही ऐसा नहीं है कि यहाँ के आलसी, निरुद्यमी मनुष्य आगे बढ़ने का मन करे क्योंकि तनिक अपनी जगह से हटने का मन किया कि जाति, कुल, धर्म सब में बट्टा लगा और खैर हमारे भैयों में से जिस किसी ने इन वाहियात बातों का विचार मन से ढीला कर मुल्क की दौलत बढ़ाने या कोई दूसरी उपाय से अपनी बेहतरी करना भी चाहा तो एक ऐसा पच्चड़ लग जायगा कि वह सब तदवीर व्यर्थ और निष्फल हो जायगी।
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हमारा दास्‍य भाव

जड़ प्रतिमा में तो बड़ा ही भाव, भक्ति और प्रेम प्रकट करेंगे, पर सजीव अपने किसी दुखी भाई को देख पिघल उठना एक ओर रहा, निठुराई के साथ उसको हानि पहुँचाने से न चूकेंगे। क्‍या यही उनके भक्ति मार्ग का तत्‍व है?
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हमारी मृगतृष्‍णा

"अब के समान राजा का स्वार्थ प्रजा के स्वार्थ का प्रतिद्वंद्वी न था, प्रजा में अमंगल और अशांति फैलने से राजा नरकपाल के डर से अधीर हो जाता था। प्रजा भी इसीलिए परम राज भक्त होती थी। यह वही भूमि है जहाँ राजा प्रजा को संतुष्ट करने को अपना सर्वस्व सुख त्याग देते थे..."
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नाक

नाक निगोड़ी भी क्‍या ही बुरी बला है। जिसके नहीं तो उसका फिर जीना ही क्‍या? कहावत है - 'नकटा जिया बुरे हवाल'। है...
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दिल बहलाव – ii

एक शख्‍स ने एक बड़े आदमी को उर्दू में दरखास्‍त लिखी- "खुदा हुजूर की उम्र दराज करे, हुजूर की नजर गुरबा परवरी पर ज्‍यादा...
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दिल बहलाव

एक स्कूल मास्टर हाथ में बेंत लिए हुए लड़कों को पढ़ा रहे थे.. बेंत सीधा कर बोले- "हमारे बेंत के कोने के रूबरू एक गधा बैठा है।" सोचिए उस बेंत के कोने के रूबरू बैठे लड़के का क्या जवाब रहा होगा? ;)
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पंच महाराज

'पंच महाराज' - बालकृष्ण भट्ट माथे पर तिलक, पाँव में बूट चपकन और पायजामा के एवज में कोट और पैंट पहने हुए पंच जी को...
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जी

'जी' - बालकृष्ण भट्ट साधारण बातचीत में यह जी भी जी का जंजाल सा हो रहा है। अजी बात ही चीत क्‍या जहाँ और जिसमें...
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